गांव की कहावतें – बघेली कहावतें, बघेली मुहावरे
हमारे विंध्य क्षेत्र रीवा सीधी में कही जाने वाली बघेली कहावतें या बघेली मुहावरे, जिसे हम बड़े बुजुर्गों की कहावत कहते हैं। साथ ही इन बघेली कहावतों को हमारे बघेल खण्ड में लगभग सभी छोटे बड़े लोगों के मुँह से जरूर सुनने को मिल जाता है। ज्यादातर इन बघेली कहावत और बघेली मुहावरे का प्रयोग व्यंग कसने और किसी बात को प्रभावी ढंग से व्यक्त करने के लिए बोला जाता है। इसे गांव की कहावतें भी कहते है। क्योंकि यह गाँवों में बोली जाती है।
बघेली क्या है?
बघेली या बाघेली, हिन्दी भाषा की एक बोली है। बघेली भारत के बघेलखण्ड क्षेत्र में बोली जाती है। यह बोली मध्य प्रदेश के रीवा, सतना, सीधी, उमरिया, एवं शहडोल, अनूपपुर में तथा उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों में भी बोली जाती है। इसे बघेलखण्डी, रिमही, रिवई आदि नामों से भी जाना जाता है।
गांव की कहावतें क्या हैं?
कहावत उस छोटे वाक्य या लाइन को कहा जाता है, जिसके माध्यम से बड़ी-बड़ी बातें कह दी जाती हैं। अक्सर गाँव-घर में बड़े बुजुर्गों के द्वारा बहुत सी कहावतें सुनने को मिलती हैं। परन्तु इन गांव की कहावतों या देहाती कहावतों को स्कूल में नही पढ़ाया जाता है। बल्कि सीधे ही लोगों के मुंह से सुनने को मिलती है। बघेली मुहावरे अधिकतर गाँवों में ही बोली जाती है।
बघेलखण्ड में बघेली कहावत और बघेली मुहावरे का प्रयोग किसी पर व्यंग मारने और अपनी बातों पर विशेष प्रभाव या वजन बढ़ाने के लिए बोला जाता है। इन कहावतों का प्रयोग कई प्रकार की परिस्थिति में विभिन्न अर्थों के लिए इस्तेमाल किया जाता है। समय और परिस्थिति के अनुसार कहावत का अर्थ भी बदल जाता है। कई कहावतें बहु अर्थी भी होती हैं।
आइए जानते हैं कुछ अपने बघेलखंड के गांव की कहावतें या ग्रामीण कहावतें और मुहावरे को –
1) नाच न जानय आगन टेढ़।
अर्थ – कोई काम न बने तो दोष दूसरो पर देना।
2) घरे के महुआ बिना ना जाय महुआ बिनय पहारे जाय।
अर्थ – पास का काम न कर पाना और दूर-दूर का ठेका लेना।
3) घरे के लड़िका गोही चाटय, मौसी अमावट खाय।
अर्थ – घर के लोगों को रूखा सूखा मिलना और बाहर वालो के लिए अच्छा अच्छा पकवान खिलाना।
4) भइस के आगे वीन वाजय, भइस खड़ी पगुराय।
अर्थ – किसी को समझाते रहना लेकिन उधर से कोई एक्सन रिएक्शन न मिलना।
5) आपन लड़िका सोन चादी आन के लड़िका गोबर माटी।
अर्थ – अपनी चीज को अधिक महत्व देना।
6) गोड़े मा कादव न लागय, अउ बड़कवा चिनगा हमारय आय।
अर्थ – बिना मेहनत करे ही बड़ी चाहत रखना।
7) सहजय गुड़ पक्कय ता सब लपक्कय।
अर्थ – अगर कोई काम सरल होता, तो सब ही कर लेते।
8) गुरु गुड़य रहिगे चेला खाड़ होइगें।
अर्थ – सिखाने वाला पीछे रह जाना।
9) जईसन घर तइसन आगन।
अर्थ – जैसा काम वैसा परिणाम।
10) अपने मरे सरग देखात हय।
अर्थ – अपना कार्य स्वयं ही करना पड़ता है।
11) जब से करबा भइया-भइया तब से जोतबा चार हरिइया।
अर्थ – जब तक से किसी के आगे हाथ फैलाएंगे उतने में स्वयं ही कर लेगे।
12) आन के पतरी के बरा मोटय देखात हवय।
अर्थ – दूसरों की चीज अच्छी ही दिखती है।
13) दईउ ना मारै अपने से मरैय।
अर्थ – मुसीवत को स्वयं बुलाना।
14) ना नउ नगद ना तेरा उधार।
अर्थ – लेन-देन का नियम।
15) बीछी के मंत्र ना जानय सॉप के बिले मा हाथ डारय।
अर्थ – छोटे स्तर का काम न कर पाना और बड़े काम करने की कोशिस करना।
16) भूखे पेट भजन नही होय।
अर्थ – विना मुनाफा के कोई कार्य नही होता।
17) जइसन राजा ओइसन प्रजा।
अर्थ – जैसे मालिक वैसे ही बाकी सब लोग।
18) अंधा पीसय कुत्ता खाय।
अर्थ – अज्ञानी व्यक्ति को लूटना।
19) अधजल गगरी छलकत जाय, भरी गगरिया चुप्पै जाय।
अर्थ – अधूरे ज्ञान से लोग बहुत बाते करते है। जबकि परम ज्ञानी शांत रहते है।
20) घन घसे फरुहा होय, जब जबर घसइया होय।
अर्थ – मेहनत करने वाला कुछ भी कर सकता है।
21) कढ़ी लीली न लिलाय, फूलउरी का हाथ पसारय।
अर्थ – आसान कार्य न कर पाना और कठिन कार्य को करने की कोशिस करना।
22) जइसे खाय अन्न वैसे रहय मन, जैसे पिअय पानी वैसे बोलै वानी।
अर्थ – जैसे वातावरण में आप रहेगे वैसे ही आपक स्वाभाव होगा।
23) चोर-चोर मौसेरे भाई।
अर्थ – एक ही क्षेत्र के लोग अपनो का ही साथ देते है।
24) जेकर जइसन बाप महतारी , तेकर तइसन लड़िका।
अर्थ – जिसके जैसे माता-पिता होते है, उसके वैसे ही पुत्र होते है।
25) अपन पेट हाहू, मै न देइहों काहू।
अर्थ – अपनी इच्छा कभी पूरी नही होती तो दूसरो को क्या दें।
26) जब काड़ी म मूड़ दिहिन त मूसर के कउन डेरि।
अर्थ – बड़े खतरो से उलझ कर छोटे-मोटे खतरो का कोई डर नही।
27) जेकर लाठी ओकर भइस।
अर्थ – जिसके पास पावर होता है वही राज करता है।
28) खिसयानी बिल्ली खम्भा नोचय।
अर्थ – गुस्साया हुआ व्यक्ति किसी को भी डाटना।
29) उपर से गिरय खजूर म लटकय।
अर्थ – एक मुसीवत से बचकर दूसरी में फसना।
30) सूम के धन शैतान खात है।
अर्थ – फ्री में मिला हुआ धन या संपत्ति व्यर्थ ही जाता है।
31) बाप के आगे पूत सयान, अइसे-अइसे घर नसान।
अर्थ – जब बड़े लोगो के सामने बच्चे बोलने लगते हैं तो घर बिखर जाता है।
32) जइसन काकर ओइसन बीआ, जइसन माई ओइसन धीया।
अर्थ – जब जिसके जैसे माता पिता हो वैसे उसके लड़के हो तो इस कहावत को बोला जाता है।
33) जेकर काम ओही का साजे, दूसर करे ता डंडा बाजै।
अर्थ – जिसका काम उसी को अच्छा लगता है।
34) अगर इ पेट ना होत, तो केहू से भेट ना होत।
अर्थ – सब स्वार्थ के लिए ही एक दूसरे के यहाँ आते जाते हैं।
35) कबो घनी घना, कबो मूठी भर चना।
अर्थ – सुख दुख दोनो बराबर मिलते हैं।
36) भूखे भजन होय न गोपाला, ले ला आपन कंठी माल।
अर्थ – जब किसी काम को करते समय भूख लग आती है तो यह इस देशी कहावत को बोला जाता है।
37) दाल रोटी खाओ, प्रभु के गुण गाओ।
अर्थ – सीधा साधा जीवन जीने की सलाह देना।
38) चित भी मेरा पट भी मेरा, अंटा मेरे बाप का।
अर्थ – परिस्थिति चाहे जो भी हो फायदा मेरा ही होना चाहिए।
39) पइसा न कौडी, सलाम करबै छौड़ी।
अर्थ – निर्धन व्यक्ति का बड़े-बड़े सपने देखना।
40) बड़ी बखरी के बड़ा दुआर, आधा मुदान आधा उघार।
अर्थ – जब लोग अपने से उच्च या पैसे वालो के यहाँ कुछ कमी पा जाते हैं तब इस कहावत को कहते हैं।
41) चलय हल न कुदारी, बइठि के भोजन दे मुरारी।
अर्थ – आलसी लोगों के लिए यह मुहावरा प्रयोग किया जाता है, खासकर उन युवाओं के लिए जो बेरोजगार हैं। और घर का कोई भी काम नही करते।
ये थे कुछ अपने रीवा सीधी के बघेली कहावत जो कभी न कभी लोगों के मुह से सुनने को जरूर मिल जाते है। यदि आप के पास भी कुछ ऐसी ही बघेली कहावते हैं। तो आप कमेंट में जरूर लिखए हम इसे जरूर एड करना चाहेगे। अउर अपना पचे अपने दोस्तन का शेयर करय का न भूलव एह गांव के कहावत का।
धन्यवाद!
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बहुत अच्छा