हमारे इस साइट पर बघेली भाषा (Bagheli Bhasha) में कांटेट पढ़ने को मिलेगा। जैसे बघेली कविता, किस्सा, कहानी, कहावतें और बघेली जोक्स, पहेलियाँ इत्यादि। धन्यवाद! अपना पचेन का हमार राम राम!
बघेली क्या है? बघेली बोली मध्य प्रदेश के किन क्षेत्रों में बोली जाती है?

बघेली या बाघेली, हिन्दी भाषा की एक बोली है। बघेली भारत के बघेलखण्ड क्षेत्र में बोली जाती है। यह बोली मध्य प्रदेश के रीवा, सतना, सीधी, उमरिया, एवं शहडोल, अनूपपुर में तथा उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों में भी बोली जाती है। इसे बघेलखण्डी, रिमही, रिवई आदि नामों से भी जाना जाता है। बघेली बोली हिन्दी की तरह ही होती है लेकिन इसके कुछ शब्द टूटे हुए होते हैं। जैसे हिन्दी में कहेंगे हमको जाना है तो इसे बघेली में कहेंगे हमका जाइका हय।
बघेली बोली किस क्षेत्र में बोली जाती है | बघेली भाषा की विशेषताएं
बघेली क्या है? बघेली का अर्थ
अर्धमगधी अपभ्रंश से जन्मे पूर्वी हिंदी की एक बोली बघेली है। भाषाविदों का मत के अनुसार बघेली को अवधी की एक बोली माना जा रहा था। परन्तु लोकमत इसे एक स्वतंत्र बोली ही मानता रहा। 12वीं शताब्दी में व्याघ्रदेव ने बघेल राज्य की नींव डाली थी और इसलिए यह क्षेत्र बघेलखण्ड के नाम से जाना जाने लगा और यहाँ बोली जाने वाली बोली का नामकरण बघेली बोली हो गया।
बघेली किस उपभाषा की बोली है?
बघेली या बघेलखंडी बोली मध्य भारत के बघेलखंड क्षेत्र में बोली जानी वाली एक केंद्रीय इंडो-आर्यन भाषा है। बघेली बोली हिन्दी भाषा की एक उप बोली है। बघेली एक क्षेत्रीय भाषा (बोली) है जिसका उपयोग संचार और विचार के आदान प्रदान के लिया किया जाता है।
बघेली बोली किस क्षेत्र में बोली जाती है
बघेली बोली बघेलखंड क्षेत्र में बोली जाती है, जो कि मध्य प्रदेश के कुछ पूर्वी जिलो को समेटे हुए है।
बघेली बोली मध्य प्रदेश के किन क्षेत्रों में बोली जाती है?
बघेली बोली का मुख्य केन्द्रबिंदु रीवा है। लेकिन बघेली मुख्य रूप से मध्य प्रदेश के रीवा, सतना, सीधी, मैहस, सिंगरौली, शहडोल, उमरिया, अनूपपुर और जबलपुर जिलों और उत्तर प्रदेश के चित्रकूट में बोली जाती है। मिश्रित रूप से यह कटनी जिला और उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के कुछ भाग में बोली जाती है। मंडला की जनजातीय बोली में बघेली, बुंदेली एवं मराठी का मिश्रण है।
Bagheli Bhasha कैसे बोली जाती है?
बघेली भाषा हिन्दी भाषा की एक उपबोली है। बघेली बोली हिन्दी की तरह ही बोली जाती है परन्तु इसके कुछ शब्दों में अंतर होता है।
जैसे –
बघेली बोली | हिन्दी भाषा |
---|---|
तोहार का नाम हय? | तुम्हारा क्या नाम है? |
अपना के का नाम हय? | आप का क्या नाम है? |
हम सीधी जइत लाहन। | हम सीधी जा रहे हैं। |
आजु पानी गिरत लाहय। | आज पानी गिर रहा है। |
हम अपना का पैसा न दई पाउब। | मैं आपको पैसे नही दे सकता। |
हमार नाम रोहित हय अउर हम सीधी मा रहित हन। | मेरा नाम रोहित है और मैं सीधी में रहता हूँ। |
बघेली भाषा की विशेषताएं
बघेली में संज्ञा तथा विशेषण के रूप 3 तरह से होते हैं जैसे- लड़िका, लड़िकवा, लड़िकौना। छोटा, छोटवा, छोटकौना।
बघेली बोली में सर्वनाम के रूप विशिष्ट हैं, जैसे- मँय, म्वारे, म्यहि, म्वार, हम्ह, हम्हार, तँय, तयां, त्वार, तुम्हार, वहिकर, उन्हा, वा, यहि, कोओऊ, कोन्हों, कउन, जेन्ह, जेन, जौउन, तौन, तूंहू, आदि।
बघेली बोली में क्रिया के रूप में चलतआँ, चलतआ, चलौं, चलस, चली, चलत्ये हैं, चलत अहे, चलेन्, चलिन आदि का प्रयोग किया जाता।
बघेली में क्रियाविशेषण के रूप में इहँवाँ, एही कइत, एहै कयोत, तेहै मुँह, कैह्य कइत आदि।
FAQ Bagheli Bhasha
बघेली बोली मध्य प्रदेश के किन क्षेत्रों में बोली जाती है ?
बघेली या बाघेली, हिन्दी भाषा की एक बोली है। बघेली भारत के बघेलखण्ड क्षेत्र में बोली जाती है। यह बोली मध्य प्रदेश के रीवा, सतना, सीधी, उमरिया, एवं शहडोल, अनूपपुर में तथा उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों में भी बोली जाती है। इसे बघेलखण्डी, रिमही, रिवई आदि नामों से भी जाना जाता है।
बघेली बोली का क्षेत्र (bagheli bhasha)
यह बोली मध्य प्रदेश के रीवा, सतना, सीधी, उमरिया, एवं शहडोल, अनूपपुर में तथा उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों में भी बोली जाती है।
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