बघेली लोकगीत सोहर – ऐ फैसनदार झवला दे दो मेरे लाल को
ऐ फैसनदार झवला दे दो मेरे लाल को,
अन्दर से निकली सासू बाहर से आई मम्मी,
सासू जल जाए मेरी मम्मी को देख के।
अन्दर से निकली जेठी बाहर से आई चाची,
जेठी जल जाए मेरी चाची को देख के।
अन्दर से निकली ननदी बाहर से आई भाभी,
ननदी जल जाए मेरी भाभी को देख के।
ऐ फैसनदार झबला दे दो मेरे लाल को।
-:समाप्त :-
बघेली लोकगीत सोहर – गंगा तीरे एक टिकुरी त टिकुरी म तिरया एक खड़ी हो
गंगा तीरे एक टिकुरी त टिकुरी म तिरया एक खड़ी हो।
अब गंगा एक लहर तू अऊतिउ डूबन हम आयो- डुबन हम आयो है।
धऊ तोहरे सास ससुर दुख धऊ नैहर दुख हो, धऊ दुख तोहरे प्रभू जी परदेश
डूबन इहा कैसे आइउ न मोरे सासु ससुर दुख न नैहर दुख हो
नव दुख मोरे प्रभुजी परिदेश को खिया दुख रोएव डूबन इहा आयो।
सासु ससुर नही मानिऊ निकालिऊ ललन कैस पाऊबू
सासु ससुर हम मनबय गुरू हम पूजवय हो अव मैनन का छठिया धराऊबय ललन हम लेवय।
-:समाप्त :-